आपराधिक कानूनों में पहली बार आतंकवाद यानी टेरर एक्ट के लिए अलग से प्रावधान किया गया है।

इसमें कहा गया है कि अगर कोई शख्स भारत की आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा को खतरा पैदा करता है और इसके लिए जाली नोट या सिक्के स्मगल करता है, बनाता या इन्हें सर्कुलेट करता है तो वह आतंकवादी करतूत माना जाएगा।
भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 (BNS) के अपडेटेड वर्जन में आतंकवाद के कृत्यों से निपटने वाली धारा 113 में संशोधन किया गया है। इसका उद्देश्य बीएनएस को यूएपीए के प्रावधानों के अनुरूप लाना है। इसमें ‘आतंकवादी कृत्य’ की परिभाषा में बदलाव किया गया है, जिसमें देश की आर्थिक सुरक्षा और मौद्रिक स्थिरता पर हमले शामिल हैं। हालांकि, आम जनता को धमकाने या सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने को अब आतंकवादी कृत्य नहीं माना जाएगा।

सरकारी संपत्ति को नुकसान भी आतंकी हरकत

भारतीय न्याय संहिता विधेयक की धारा 113(5 ) में कहा गया है कि अगर कोई शख्स भारत की रक्षा परिसंपत्ति को नुकसान पहुंचाता हो या अन्य तरह की सरकार की ऐसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता हो तो वह आतंकवाद यानी टेरर एक्ट माना जाएगा। इसी कानून की धारा 113(बी) में कहा गया- अगर कोई संवैधानिक पद पर बैठे या पब्लिक फंक्शनरी पर हमला करता है या अगवा करता है या ऐसी मंशा रखता है तो ऐसे मामले को भी टेरर एक्ट माना जाएगा। इससे मौत होने पर उम्रकैद और फांसी की सजा का प्रावधान है।

 सरकार ने  जारी की  है व्हाट्सएप और स्काइप कॉल पर चेतावनी 
सरकार ने  जारी की  है व्हाट्सएप और स्काइप कॉल पर चेतावनी 

बढ़ते साइबर अपराधों के बीच, भारत सरकार एक नए प्रकार के ऑनलाइन धोखाधड़ी के खिलाफ चेतावनी दे रही है जिसे ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ कहा जाता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पीड़ितों से पुलिस अधिकारी बनकर पैसे ऐंठने वाले साइबर अपराधियों के खिलाफ अलर्ट जारी किया है।

मंत्रालय का कहना है कि उसे बड़ी संख्या में राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर 

पुलिस अधिकारियों, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), प्रवर्तन निदेशालय और अन्य के रूप में प्रस्तुत होने वाले साइबर अपराधियों द्वारा धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और “डिजिटल गिरफ्तारी” के संबंध में शिकायतें प्राप्त हुए हैं।

इस प्रकार की धोखाधड़ी के बारे में सतर्क रहने और जागरूकता फैलाने की सलाह दी जाती है। यदि किसी को ऐसे कॉल आते हैं,

नागरिकों को सहायता के लिए तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर घटना की सूचना देनी चाहिए।

The challenges faced by women lawyers in India

 In India, women lawyers face a multitude of challenges as they navigate through the legal profession.  One significant barrier is the prevalent gender bias within law firms and courtrooms. 

Women often encounter discrimination in terms of hiring, promotion, and case assignments. Additionally, balancing professional responsibilities with  family duties poses a constant challenge. 

The demanding nature of legal work, with long hours and unpredictable schedules, can make it difficult for women to maintain work-life balance, especially in a society.

That women lawyers are facing severe family pressure and, more often than not, have to  out of the profession after marriage. Women lawyers, by the time they find themselves to be professionally well grounded, become too old to be considered suitable for marriage in the Indian society.

 Challenges face by women lawyers in court

Many Woman lawyer sometimes chooses cases based on the safety and infrastructure of the court and persistent discrimination is regularly faced in the male-dominated field by women. Even the clients often prefer male representatives because women may not appear in court because of their family commitments or personal issues.

Furthermore, the lack of support systems and mentorship opportunities  these challenges, leaving many women lawyers feeling isolated and unsupported in their careers.  Many women lawyers in India continue to persevere, the way for future generations of female legal professionals. Efforts to address these challenges include advocating for gender-sensitive policies within law firms and legal institutions, promoting mentorship programs, and fostering a supportive and inclusive work culture that empowers women to thrive in the legal profession.

conclusion , women lawyers in India confront multifaceted challenges, including gender bias, limited access to leadership roles, and  expectations.Due to their family responsibilities, women have a difficult time balancing home and career. The fact that Indian women are now working outside of the home does not diminish the fact that they still have a long way to go culturally, socially, and economically.

Supreme Court Denies Petition for 3-Year LL.B Degree After 12th Standard.
Supreme Court Denies Petition for 3-Year LL.B Degree After 12th Standard. 

In a recent development, the Supreme Court, on Monday, April 22, dismissed a petition requesting the allowance of a 3-year LL.B degree course immediately after completing the 12th standard. This decision marks a significant stance on the structure and prerequisites of legal education in the country.

The plea filed by lawyer Ashwini Upadhyay said it was “seeking direction to the Centre and Bar Council of India to form an expert committee to ascertain the feasibility of starting three-year Bachelor of Law course after 12th standard like Bachelor of Science (BSc), Bachelor of Commerce (BCom) and Bachelor of Art (BA) courses.

A Bench comprising Chief Justice D.Y. Chandrachud and Justice J.B. Pardiwala said the five-year LLB (Bachelor of Law) course is “working fine” and there was no need to tinker with it.We need mature people coming into the profession. This 5-year course has been very beneficial,” the Bench said while permitting the PIL to be withdrawn.

However, the Supreme Court’s decision to reject the petition underscores the complexities and nuances inherent in legal education and professional training. The judiciary’s role in upholding the integrity and standards of legal practice is paramount, and any modifications to existing norms require careful consideration and deliberation.

In conclusion, the Supreme Court’s refusal to entertain the petition for a 3-year LL.B degree immediately after the 12th standard reflects a reaffirmation of the existing framework of legal education in India. While the debate surrounding educational reform is ongoing, the decision underscores the importance of maintaining academic rigor and upholding the standards of legal professionalism in the country.

साइबर अपराधी धोखादड़ी करने के लिए कर रहे है IVR कॉल्स का उपयोग

साइबर विशेषज्ञों ने नागरिकों को इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पांस (आईवीआर) कॉल के बारे में चेतावनी दी है, जिसमें पीड़ितों को धोखाधड़ी वाली योजनाओं के जाल में फंसाने के लिए पहले से रिकॉर्ड किए गए संदेश और कीपैड संकेत शामिल हैं।

पिछले कुछ महीनों में, देश के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों मामले सामने आए हैं जिनकी शुरुआत आईवीआर कॉल से होती है, जैसा कि विशेषज्ञों ने बताया है।

29 मार्च को, केंद्रीय संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) ने नागरिकों को एक सलाह जारी की कि नागरिकों को ऐसे कॉल आ रहे हैं जिनमें DoT के नाम पर कॉल करने वाले धमकी देते हैं कि उनके सभी मोबाइल नंबर काट दिए जाएंगे या कि उनके नंबरों का गलत इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में किया जा रहा है.

अधिकारियों ने कहा कि सभी नवीनतम ड्रग-इन-पार्सल घोटाले रिकॉर्ड किए गए संदेशों के साथ आईवीआर कॉल से शुरू हुए। पार्सल घोटालों में इन दवाओं में, पीड़ितों को आईवीआर संदेश प्राप्त होता है और फिर उन्हें नकली अंतरराष्ट्रीय कूरियर सेवा अधिकारियों से जोड़ा जाता है। इन अधिकारियों का दावा है कि पीड़ितों को संबोधित पार्सल में ड्रग्स पाए गए हैं। उन्हें पुलिस की संलिप्तता के बारे में बताया जाता है और कानून प्रवर्तन के रूप में फर्जी प्रोफाइल के साथ स्काइप के माध्यम से संवाद करने के लिए कहा जाता है।

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“डिजिटल गिरफ्तारी” या “Digital Arrest”: यह क्या है और आप कैसे सुरक्षित रह सकते हैं

साइबर अपराध का एक नया तरीका जिसमे व्यक्ति ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ घोटाले का शिकार हो रहे हैं। जहां धोखेबाज custom officials अधिकारियों का रूप धारण करते हैं और डिजिटल रूप से बिना सोचे-समझे लक्ष्यों की निगरानी करते हैं, और महत्वपूर्ण रकम वसूलते हैं।

 हाल ही के एक मामले में नोएडा की एक महिला शामिल थी, जिसे एक घोटालेबाज का फोन आया, जिसने खुद को मुंबई का एक आईपीएस अधिकारी बताया। घोटालेबाज ने महिला को बताया कि मुंबई में उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल सिम कार्ड खरीदने के लिए किया गया था, जो मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ा है।महिला को कुल 11 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए  और 3 लाख रुपये के ऋण के लिए आवेदन करने के लिए भी मजबूर किया गया।

फ़रीदाबाद से एक अलग मामला जिसमें एक 23 वर्षीय महिला के साथ इस रणनीति को अपनाकर साइबर अपराधियों ने 2.5 लाख रुपये वसूल लिए। जालसाजों ने, खुद को सीमा शुल्क अधिकारी बताते हुए, उसे पासपोर्ट तस्करी मामले में शामिल होने के बारे में आश्वस्त किया, और ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ से बचने के लिए उस पर 15 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए दबाव डाला। पीड़ित को 2.5 लाख रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया, और इस दौरान स्काइप को लॉग ऑफ न करने की चेतावनी दी गई।

‘डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला’ एक साइबर अपराध रणनीति है जहां धोखेबाज कानून प्रवर्तन अधिकारियों, अक्सर सीमा शुल्क अधिकारियों या पुलिस कर्मियों का रूप धारण करते हैं, ताकि व्यक्तियों को यह विश्वास दिलाया जा सके कि वे मनगढ़ंत कानूनी उल्लंघनों के लिए आसन्न डिजिटल गिरफ्तारी का सामना कर रहे हैं। अपराधी तात्कालिकता और भय की भावना पैदा करने के लिए डिजिटल संचार विधियों, जैसे वीडियो संदेश या वीडियो कॉल का उपयोग करते हैं। इस घोटाले में पीड़ितों को झूठे सबूतों के साथ बरगलाना, धमकी भरी भाषा और कथित कानूनी परिणामों से बचने के लिए महत्वपूर्ण भुगतान की मांग करना शामिल है।

आप कैसे सुरक्षित रह सकते हैं

खुद को अपडेट रखें

डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले सहित धोखेबाजों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सामान्य घोटालों और युक्तियों से सावधान रहें। नवीनतम साइबर सुरक्षा खतरों के बारे में सूचित रहें।

कॉलर की identity verify करें

यदि आपको कानून प्रवर्तन अधिकारी होने का दावा करने वाले किसी व्यक्ति से कॉल या संदेश प्राप्त होता है, तो उनकी आधिकारिक साख और संपर्क जानकारी मांगकर उनकी पहचान सत्यापित करें। वैध अधिकारी यह जानकारी उपलब्ध कराएंगे.

घबराएं नहीं

शांत रहें और स्थिति की वैधता पर सवाल उठाएं। वास्तविक कानूनी मामलों को आम तौर पर औपचारिक प्रक्रियाओं के माध्यम से निपटाया जाता है, न कि तत्काल धमकियों के माध्यम से।

व्यक्तिगत जानकारी कभी भी साझा न करें

अज्ञात या असत्यापित व्यक्तियों के साथ व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी, जैसे सामाजिक सुरक्षा नंबर, बैंक विवरण या पासवर्ड साझा करने से बचें।

दावों की दोबारा जांच करें

यदि आपको कानूनी आरोपों के बारे में सूचित किया जाता है, तो जानकारी को स्वतंत्र रूप से सत्यापित करें। किसी भी दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के लिए आधिकारिक चैनलों के माध्यम से अपनी स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसी या कानूनी अधिकारियों से संपर्क करें।

मोहित बजाज (एडवोकेट) mohit bajaj
Happy Holi 2023 – होलिका दहन पर Mohit Bajaj (एडवोकेट) का सन्देश

ईश्वर करे आपकी जिन्दगी का हर दिन हर आने वाला पल प्यार, सुख, समृधि, आनंद, कामयाबी, और सेहत के रंगों से सरोबर हो जाय – होलिका दहन के साथ अन्याय एवं हर मुसिबल जल कर खाख हो जाए

होली की हार्दिक शुभकामनाएं

मोहित बजाज (एडवोकेट)

साइबर एक्सपर्ट

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दिल्ली: सेक्स चैट के लिए सार्वजनिक किया महिला का नंबर, साइबर एक्सपर्ट, Mohit Bajaj अधिवक्ता ने किया सावधान

मोहित बजाज (अधिवक्ता) , साइबर एक्सपर्ट – आए दिन साइबर अपराधों में वृद्धि हो रही है, रोज नए नए तरीको से साइबर अपराध हो रहे हैं ऐसे में एक रेल कर्मचारी द्वारा सेक्स चैट’ (अश्लील बातचीत) के लिए एक महिला का मोबाइल नंबर कथित रूप से सार्वजनिक किया गया, आरोपी पीड़ित महिला से बदला लेना चाहता था और इस काम के लिए यूट्यूब से सीखकर एक वॉट्सऐप अकाउंट बनाया था।

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Mohit Bajaj (Advocate) , Cyber Expert

आरोपी की पहचान पश्चिमी करावल नगर निवासी अमित यादव के रूप में हुई है। पुलिस ने कहा कि अमित ने महिला से बदला लेने के लिए ऐसा किया था क्योंकि महिला ने अपने एक रिश्तेदार की बेटी से संबंध रखने को लेकर उसे डांट दिया था। डांट से ग़ुस्सा हो कर उसने बदला लेने की भावना से उस महिला का नंबर वायरल करने की कोशिश की, महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि उसे कई नंबरों से ‘सेक्स चैट’ के लिए कई संदेश और फोन कॉल आ रहे हैं। पुलिस ने महिला के घर के आस-पास गहन पूछताछ की और अन्य इलेक्ट्रॉनिक विवरण- आईपी एड्रेस समेत- और कई नंबरों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड एकत्र किए, जिनसे उसे फोन किया गया था।
इस सन्दर्भ में साइबर एक्सपर्ट , मोहित बजाज (अधिवक्ता) ने कहा की अगर कोई भी आपको इस प्रकार से गुमराह करने की कोशिश करे तो आप डरना नहीं बल्कि सीधा सम्बंधित पुलिस स्टेशन अर्थात महिला हेल्पलाइन आदि में सूचित करें। ऐसे आरोपियों के हौसले तभी बुलंद होते हैं जब आप डरना शुरू करते हैं। पूछताछ के दौरान आरोपी अमित यादव ने खुलासा किया कि वह भारतीय रेल में कैटरिंग स्टाफ के रूप में काम करता है और जनवरी 2020 में वह एक लड़की के संपर्क में आया था, जो शिकायतकर्ता की बहन थी और उसके साथ ट्रेन में यात्रा कर रही थी।

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संभलकर रहें! त्योहारों का मौसम शुरू होने के साथ ही एक्टिव हो गए साइबर अपराधी

मोहित बजाज (एडवोकेट) , साइबर एक्सपर्ट – त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है और इस दौरान ऑनलाइन शॉपिंग के जरिये बड़े मार्केट को खोला गया है, ताकि लोग ऑनलाइन शॉपिंग कर सेल में पूजा की खरीदारी कर सकें. दूसरी तरफ, साइबर क्रिमिनल भी ऑनलाइन शॉपिंग पर घात लगाए बैठे हैं. त्योहारों के मौसम पर बाजारों में रौनक है लोग खरीदारी में मशगूल हैं, लेकिन इसके साथ ही ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी लोगों का खासा रुझान है, लेकिन इन जगहों पर जरा सी असावधानी आपके बैंक खाते को खाली कर देती है।

इस तरह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं साइबर अपराधी न सिर्फ आपको आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि आपको ब्लैकमेल भी कर सकते हैं क्योंकि इन साइट्स पर कई ऐसे ऑफर रहते हैं, जिनपर क्लिक करने के साथ ही आपके मोबाइल में स्पाइवेयर, रैनसम्वेयर जैसे एप इंस्टॉल हो सकते हैं. इससे आपका डेटा चुराया जा सकता है. मामले की जानकारी देते हुए शिमोनि प्रसाद साइबर एक्सपर्ट ने बताया की अब एक नया एप भी आ गया है जिसका नाम है, “की लॉगर” जिससे आप अगर कुछ भी अपने गैजेट्स से टाइप करते हैं तो उसकी इन्फोर्मेशन साइबर अपराधी तक चली जाएगी, जिससे आपके मेल पासवर्ड के साथ अन्य इन्फॉर्मेशन भी चोरी हो सकती है.साइबर अपराधी इन दिनों फिशिंग पेज बना देते हैं और इन फिशिंग पेज पर जाने के साथ ही आप इनके शिकार हो जाते हैं. हालांकि इससे बचने का उपाय है कि आप सतर्क रहें, क्योंकि इन पेजेस का नाम भले बड़े ब्रांड से मिलता जुलता हो, लेकिन इसमें स्पेलिंग एरर होती है, जिसे हम हड़बड़ी में गौर नहीं करते है और इन पेजेस पर जाकर साइबर अपराधियों के आसान शिकार बन जाते हैं. मामले की जानकारी देते हुए रांची एसएसपी ने बताया कि साइबर फ्रॉड से बचने के लिए लोगों का जागरूक होना बेहद जरूरी है और अगर बावजूद उसके वह साइबर फ्रॉड के ट्रैप में फंस जाते हैं तो तुरंत संबंधित थाने को सूचित कर सकते हैं. बहरहाल त्योहारों के मौसम में साइबर अपराधियों की भी चांदी है, ऐसे में सावधान और सतर्क रहना जरूरी है. अगर आप ठगी के शिकार हो जाते हैं तो इसकी जानकारी साइबर सेल को जरूर दें।

Mohit Bajaj (Advocate), Cyber Expert

साइबर एक्सपर्ट Mohit Bajaj (एडवोकेट) ने किया सतर्क , कहा ₹10 में खाना खाने के चक्कर में आप से हो जाएगी लाखों रुपए की Cyber ठगी

मशहूर रेस्टोरेंट के नाम पर ठगी, क्रेडिट कार्ड से 10 रुपये देकर बुक कराई थाली , और फिर ….

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